कविता 
मैने सोचा मै भी लिखू कविता। 
पहले खाकर एक पपीता ॥
फिर मै बन जाऊंगा कवि।
ऐसा कहता है रोज सुबह रवि॥
इतनी चले मेरी कविता संसार में
कविता लिखू मै कवि बननेके प्यार में॥
तन रहता है स्वस्थ पपीता से।
मन प्रफुलित रहता है कविता से॥
जब में लिखू तो एसी मेरी कविता हो।
जिसमे रामायण और गिता हो॥
कविता लिखने का करता हूँ मै काम ।
इसलिए मेरी कविता का कविता ही नाम॥
मेरी कविता सदा रहे सलामत।
कभी न आए इस पर कयामत ॥ 
सुनाऊंगा कविता
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शहर के आखिरी कोने से निकालूँगा
और लौट जाऊंगा गाँव की ओर
बचाऊंगा वहां की सबसे सस्ती 
और मटमैली चीजों को 
मिट्टी की ख़ामोशी से चुनूंगा कुछ शब्द 
बीजों के फूटे ...
15 वर्ष पहले
 
 
