शनिवार, 24 जनवरी 2009

नागार्जुन की कविता

मेघ बजे

धिन-धी-धा धमक-धमक
मेघ बजे
दामिनि यह गयी दमक
मेघ बजे
धरती का ह्दय धुला
मेघ बजे
पंक बना हरिचन्दन
मेघ बजे
हल का है अभिनन्दन
मेघ बजे।
धिन-धिन-धा धमक-धमक
मेघ बजे।

शुक्रवार, 9 जनवरी 2009

संजीव ठाकुर की कहानी

ज़्यादा किसे मिलें ?

एक बार की बात है।किसी गाँव में दो अजनबी घूमते-घामते पहुँचे। शाम हो गयी थी। वे रात उसी गाँव में बिताना चाहते थे। वे मुखिया के पास गए और उनसे रात गाँव में ठहर जाने की अनुमति माँगी। मुखिया ने दोनों को गाँव की अतिथिशाला में ठहरने की अनुमति दे दी। मुखिया ने कहा, ''रात में आपको खाना भी मिलेगा। आप खाकर आराम से सोइए। मगर हमारे गाँव का एक नियम है....!''
अजनबियों ने पूछा,''कैसा नियम?'' तो मुखिया ने कहा,''नियम यह है कि कोई अतिथि सोते हुए खर्राटे नहीं ले सकता। खर्राटे लिए तो हम उसे मार डालेंगे।''
अजनबियों ने शर्त मान ली और वे अतिथिशाला में चले गए। रात को खाना खाकर दोनों सो गए। थोडी ही देर में एक अजनबी खर्राटे लेने लगा। इससे दुसरे की नींद खुल गयी। उसने सोचा गाँव वाले इसके खर्राटे सुनकर आते ही होंगे। अब तो जान गयी। इस संकट से बचने का उसे एक विचार आया और वह जोर-जोर से गाने लगा। गाने की आवाज़ सुनकर मुखिया वह पहुँच गया। धीरे-धीरे गाँव वाले भी पहुँच गए। सभी मिल कर गाने लगे। वे रात भर गाते रहे। दुसरे अजनबी के खर्राटे कोई नहीं सुन पाया।
सुबह उठकर जब दोनों जाने लगे तो मुखिया ने उन्हें सिक्कों से भरा एक थैला दिया और कहा,''रात हम लोगों ने काफी अच्छा समय बिताया इसलिए यह तोहफा आपके लिए है।''
थैला लेकर दोनों विदा हुए। गाँव से बाहर निकलते ही दोनों झगड़ने लगे। दोनों अपने लिए ज़्यादा सिक्कों की मांग कर रहे थे। दूसरे का कहना था,''मैंने गाना गाकर तुम्हारी जान बचाई इसलिए ज्यादा सिक्के मैं लूँगा।'' और पहला तर्क दे रहा था,''अगर मैं खर्राटे नहीं लेता तो तुम्हें गाने का मौका ही नहीं मिलता। इसलिए ज्यादा सिक्के मैं लूँगा।''
दोनों इस बात पर देर तक लड़ते रहे। आखिर तक वे किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पाए। क्या तुम बता सकते हो की ज्यादा सिक्कों का हकदार कौन है?