शनिवार, 28 मार्च 2009

मनोज कामदार की कविता

कविता

मैने सोचा मै भी लिखू कविता।
पहले खाकर एक पपीता ॥

फिर मै बन जाऊंगा कवि।
ऐसा कहता है रोज सुबह रवि॥

इतनी चले मेरी कविता संसार में
कविता लिखू मै कवि बननेके प्यार में॥

तन रहता है स्वस्थ पपीता से।
मन प्रफुलित रहता है कविता से॥

जब में लिखू तो एसी मेरी कविता हो।
जिसमे रामायण और गिता हो॥

कविता लिखने का करता हूँ मै काम ।
इसलिए मेरी कविता का कविता ही नाम॥

मेरी कविता सदा रहे सलामत।
कभी न आए इस पर कयामत ॥