सुनाऊंगा कविता
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शहर के आखिरी कोने से निकालूँगा
और लौट जाऊंगा गाँव की ओर
बचाऊंगा वहां की सबसे सस्ती
और मटमैली चीजों को
मिट्टी की ख़ामोशी से चुनूंगा कुछ शब्द
बीजों के फूटे ...
14 वर्ष पहले
kuchh doosaron ki tatha kuchh apani rachanayen.
1 टिप्पणी:
swagat
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